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सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी की याचिका, शिकायतकर्ता से नाथुराम गोडसे से रिश्ते का खुलासा करने की मांग

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सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी की याचिका, शिकायतकर्ता से नाथुराम गोडसे से रिश्ते का खुलासा करने की मांग

पुणे, 29 मई 2025: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुणे की विशेष सांसद/विधायक अदालत में एक याचिका दायर की है, जिसमें शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर से उनके पूरे पारिवारिक इतिहास का खुलासा करने की मांग की गई है। गांधी ने आरोप लगाया है कि सत्यकी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे से अपने रिश्ते को छिपाकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। यह मामला हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर गांधी की टिप्पणियों से जुड़ा है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब गांधी ने लंदन में एक भाषण में कहा, “वे [सावरकर और उनके साथी] एक मुस्लिम को पीटते थे और खुश होते थे। अगर पांच लोग एक व्यक्ति को पीट रहे हों और कोई इस पर खुश हो, तो यह कायरता है।” सत्यकी सावरकर, जो खुद को विनायक सावरकर का भतीजा बताते हैं, ने इस बयान को स्वतंत्रता सेनानी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया। पुणे की अदालत ने 9 मई 2025 को गांधी को समन जारी किया था, और वह तब से जमानत पर हैं।
अपने वकील मिलिंद पवार के जरिए दायर याचिका में गांधी ने कहा है कि सत्यकी ने केवल अपने पिता की ओर का रिश्ता बताया, कि वह विनायक सावरकर के भतीजे अशोक सावरकर के बेटे हैं। लेकिन उन्होंने अपनी मां की ओर का रिश्ता छिपाया। गांधी का दावा है कि सत्यकी की मां हिमानी, नाथुराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे की बेटी हैं, जो महात्मा गांधी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए थे। याचिका में कहा गया, “शिकायतकर्ता ने नाथुराम गोडसे से अपने रिश्ते को छिपाकर अदालत को धोखा देने की कोशिश की है।” याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि इस छिपाव के आधार पर मामला खारिज किया जा सकता है।
याचिका में ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया है कि विनायक सावरकर और नाथुराम गोडसे “हिंदू राष्ट्र” की वकालत करते थे और दोनों ने विभाजन के दौरान महात्मा गांधी की नीतियों की आलोचना की थी। दोनों मुसलमानों और ईसाइयों को बाहरी मानते थे और महात्मा गांधी के रुख के खिलाफ थे। हालांकि, विनायक सावरकर को महात्मा गांधी हत्या मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था, लेकिन गांधी की कानूनी टीम का कहना है कि सत्यकी ने अपने परिवार का आंशिक विवरण देकर मामले को गलत तरीके से पेश किया।
अदालत ने सत्यकी के वकील संग्राम कोल्हटकर को अगली सुनवाई में याचिका का जवाब देने को कहा है। इससे पहले, 10 मई 2025 को सत्यकी ने गांधी की जमानत रद्द करने की मांग की थी, यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने जानबूझकर अपनी याचिका दर्ज करने में देरी की। अदालत ने गांधी के वकील को 28 मई 2025 तक लिखित जवाब देने को कहा था।
गांधी के खिलाफ सावरकर पर टिप्पणियों को लेकर यह एकमात्र मामला नहीं है। 25 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ चल रहे एक अन्य मानहानि मामले पर रोक लगा दी थी। उस मामले में गांधी ने 2022 में महाराष्ट्र में एक भाषण के दौरान सावरकर को “अंग्रेजों का नौकर” और “उनसे पेंशन लेने वाला” कहा था। जस्टिस दीपांकर दत्ता और मनमोहन ने गांधी को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लापरवाही भरे बयान देने से बचने की चेतावनी दी, यह कहते हुए, “आपकी दादी ने, जब वह प्रधानमंत्री थीं, सावरकर की तारीफ में एक पत्र लिखा था। आपको हमारे इतिहास का सम्मान करना चाहिए।”
यह मामला विनायक सावरकर की विरासत को लेकर बहस को और तेज कर रहा है। गांधी के बयानों ने स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर की भूमिका पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है। पुणे की अदालत में अगली सुनवाई में सत्यकी के पारिवारिक रिश्तों और गांधी के बयानों के ऐतिहासिक संदर्भ पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है।http://LiteralLaw.in

 

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