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दिल्ली की हवा को स्वच्छ करने की सख्त पहल: नवंबर 2025 से केवल BS-VI CNG, LNG और इलेक्ट्रिक मालवाहनों को प्रवेश, CAQM का सुप्रीम कोर्ट में ऐलान

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दिल्ली की हवा को स्वच्छ करने की सख्त पहल: नवंबर 2025 से केवल BS-VI CNG, LNG और इलेक्ट्रिक मालवाहनों को प्रवेश, CAQM का सुप्रीम कोर्ट में ऐलान

नई दिल्ली, 7 मई 2025 – दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण नीति की घोषणा की है। आयोग ने बताया कि 1 नवंबर 2025 से केवल भारत स्टेज VI (BS-VI) मानकों का पालन करने वाले मालवाहन, जो संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG), तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) या बिजली (इलेक्ट्रिक वाहन – EV) से संचालित हों, दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। यह कदम दिल्ली-NCR में वाहन उत्सर्जन को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।

सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक सुनवाई: यह घोषणा पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित ऐतिहासिक मामले एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य (रिट याचिका (सिविल) संख्या 13029/1985) की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष की गई। CAQM की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें हल्के मालवाहन (LGV), मध्यम मालवाहन (MGV) और भारी मालवाहन (HGV) पर लागू होने वाले प्रतिबंधों का विस्तार से उल्लेख किया गया। दिल्ली में पंजीकृत वाहनों को इस नीति से छूट प्राप्त होगी।

एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने Literal Law से बातचीत में कहा, “CAQM का यह निर्णय दिल्ली की हवा को स्वच्छ करने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। BS-VI CNG, LNG और इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना न केवल प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा।”

पुराने वाहनों पर सख्ती: CAQM ने एक और महत्वपूर्ण नीति की घोषणा की है, जिसके तहत 1 जुलाई 2025 से दिल्ली-NCT में “जीवनकाल समाप्त” (end-of-life) वाहनों को ईंधन की आपूर्ति रोकी जाएगी। यह नीति उन वाहनों को लक्षित करती है जो नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार अपनी संचालन अवधि पूरी कर चुके हैं। इसका उद्देश्य पुराने, अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाना है।

कानूनी और नीतिगत पृष्ठभूमि: यह निर्देश ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज-IV के तहत पहले के आदेशों का हिस्सा है, जिसमें गैर-जरूरी सेवाओं के लिए BS-IV और उससे नीचे के डीजल मध्यम और भारी मालवाहनों पर प्रतिबंध शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बार-बार कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने विशेष रूप से दिल्ली के प्रवेश बिंदुओं पर निगरानी की कमी को लेकर अधिकारियों की जवाबदेही तय करने पर जोर दिया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने Literal Law को बताया, “CAQM का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और रसद की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने का एक सराहनीय प्रयास है। हालांकि, NCR के 28 जिलों में इसे लागू करने के लिए डिजिटल निगरानी, RFID सिस्टम और प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। यह नीति पर्यावरण कानून और तकनीकी नवाचार के संगम का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।”

कार्यान्वयन की चुनौतियां और समाधान: CAQM ने अपने हलफनामे में बताया कि दिल्ली में मालवाहनों की जांच के लिए 113 चेकपॉइंट्स स्थापित किए गए हैं, लेकिन कई जगहों पर कर्मचारियों, स्कैनर और डिजिटल उपकरणों की कमी है। सुप्रीम कोर्ट ने CAQM को इन कमियों को तुरंत दूर करने और नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, NCR राज्यों (हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान) को CAQM की नीतियों को समर्थन देने के लिए अपनी कार्ययोजनाएं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

वकीलों, पर्यावरणविदों और छात्रों के लिए महत्व:

वकीलों के लिए: एम.सी. मेहता मामला भारत में पर्यावरण कानून का एक आधारशिला है। यह सार्वजनिक हित याचिका (PIL) के माध्यम से नीतिगत सुधार लाने की शक्ति को दर्शाता है। यह मामला संवैधानिक कानून के तहत अनुच्छेद 21 (स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार) के व्यावहारिक अनुप्रयोग को समझने और एमिकस क्यूरी की भूमिका को रेखांकित करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। वकील इस मामले से सीख सकते हैं कि कैसे न्यायिक हस्तक्षेप दीर्घकालिक पर्यावरणीय सुधारों को प्रेरित कर सकता है।

पर्यावरणविदों के लिए: यह नीति वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तकनीकी और नियामक समाधानों का एक मॉडल है। BS-VI मानकों और वैकल्पिक ईंधन (CNG, LNG, EV) पर जोर देना स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत के संक्रमण को दर्शाता है। पर्यावरणविदों के लिए यह नीति शहरी परिवहन और उत्सर्जन नियंत्रण के लिए एक ब्लूप्रिंट है, जो अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।

छात्रों के लिए: कानून और पर्यावरण अध्ययन के छात्रों के लिए यह मामला एक समृद्ध केस स्टडी है। यह पर्यावरण कानून, केंद्र-राज्य समन्वय, और न्यायिक समीक्षा जैसे जटिल विषयों को समझने का अवसर देता है। 1985 से चला आ रहा एम.सी. मेहता मामला यह दर्शाता है कि कैसे दीर्घकालिक मुकदमे सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव ला सकते हैं। छात्र इस मामले से नीति निर्माण और कार्यान्वयन की चुनौतियों को भी समझ सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की प्रगति पर नजर रखने के लिए अगली सुनवाई की तारीख तय की है। नवंबर 2025 की समयसीमा नजदीक आने के साथ ही मालवाहन संचालक, पर्यावरण कार्यकर्ता और नीति निर्माता इस नीति के कार्यान्वयन पर बारीकी से नजर रखेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति न केवल दिल्ली की हवा को स्वच्छ करेगी, बल्कि भारत के अन्य महानगरों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगी।

मामले का विवरण: एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य, रिट याचिका (सिविल) संख्या 13029/1985, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया।

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