BNSS के तहत आम नागरिक के अधिकार और पुलिस की जिम्मेदारियाँ
भारत के आम नागरिक को कई बार ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है, जहाँ उन्हें थाने जाकर शिकायत दर्ज करानी होती है, किसी केस की प्रगति जाननी होती है, या कानूनी मदद की अपेक्षा होती है। लेकिन अक्सर पुलिस टालमटोल करती है या एफआईआर दर्ज नहीं करती।
अब नए कानून BNSS – भारतीय नागरिका सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत आपकी सुरक्षा और अधिकार और भी स्पष्ट कर दिए गए हैं।
1. FIR दर्ज करना अब भी पुलिस की बाध्यता है
🚨 BNSS की धारा 173 (पूर्व CrPC 154)
यदि कोई संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) हुआ है, तो थाना प्रभारी को मौखिक या लिखित रिपोर्ट पर अनिवार्य रूप से प्राथमिकी (FIR) दर्ज करनी होगी।
✅ सुप्रीम कोर्ट का निर्देश (Lalita Kumari v. Govt. of UP, 2013) अभी भी मान्य है – FIR दर्ज करना पुलिस की बाध्यता है, विकल्प नहीं।
2. अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही तो करें ये उपाय:
✅ A. SHO के पास जाएँ – और रसीद लें
यदि ड्यूटी अफसर आपकी बात नहीं सुन रहा, तो सीधे SHO से मिलें और लिखित शिकायत की रसीद लें।
✅ B. तीन-स्तरीय प्रक्रिया:
i. SP/DCP को लिखें (BNSS धारा 175)
– लिखित में शिकायत दें
– रिसीविंग जरूर लें
– राज्य पुलिस पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत करें
ii. न्यायालय जाएँ – BNSS धारा 180(3)
पूर्व में CrPC धारा 156(3) थी। अब BNSS की धारा 180(3) के तहत आप मजिस्ट्रेट के पास जाकर शिकायत दे सकते हैं कि:
“पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही, कृपया आदेश दें।”
iii. RTI लगाएँ और जांच की स्थिति पूछें
– “मेरी शिकायत पर अब तक क्या कार्रवाई हुई?”
– इससे पुलिस विभाग पर पारदर्शिता और जवाबदेही तय होती है।
3. यदि जांच में निष्क्रियता हो तो:
- SP या DIG को रिमाइंडर भेजें (मेल/व्हाट्सऐप/ट्विटर)
- गंभीर मामलों में हाई कोर्ट में रिट याचिका (Writ Petition) दाखिल करें
- NHRC या राज्य मानवाधिकार आयोग से संपर्क करें
4. व्यवहारिक रणनीतियाँ:
🎯 सबूत लिखित में दें:
हर बात लिखित में दें और रसीद लें या फोटो खींच लें।
🎯 बातचीत रिकॉर्ड करें:
आपको मोबाइल से बातचीत रिकॉर्ड करने का अधिकार है – खासकर जब अधिकारी एफआईआर दर्ज नहीं कर रहे हों।
🎯 मीडिया और सोशल मीडिया का सहारा लें:
संवेदनशील मामलों में सामाजिक दबाव असरदार हो सकता है।
5. शिकायत करने के मंच:
मंच | उपयोग | प्रक्रिया |
---|---|---|
SP / DIG | FIR दर्ज न हो | पत्र या ईमेल |
State Police Complaint Authority | पुलिस दुर्व्यवहार | ऑनलाइन या लिखित |
NHRC | मौलिक अधिकारों का उल्लंघन | ऑनलाइन शिकायत |
RTI | जांच की जानकारी | RTI दाखिल करें |
न्यायालय | अंतिम उपाय | BNSS धारा 180(3) या रिट याचिका |
🔚 निष्कर्ष:
पुलिस जनता की सेवक है, शासक नहीं। यदि वह अपने कर्तव्य से मुँह मोड़ती है, तो BNSS और संविधान आपको अधिकार देता है कि आप उसे उत्तरदायी बनाएँ।
✅ डरें नहीं – अधिकार जानिए, और कानून का प्रयोग करें। BNSS अब आपके साथ है।