जम्मू, 23 मई 2025 — जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि कोई भी प्रशासनिक अधिकरण अपने आदेश की समीक्षा केवल उन्हीं सीमित आधारों पर कर सकता है जो सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के ऑर्डर 47 नियम 1 में निर्धारित हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें जम्मू नगर निगम को एक अवैध निर्माण को गिराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। यह निर्माण पांचवें प्रतिवादी द्वारा स्वीकृत योजना के उल्लंघन में किया गया था।
नगर निगम ने पांचवें प्रतिवादी को ग्राउंड, प्रथम और द्वितीय मंजिल के निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन प्रतिवादी ने वाणिज्यिक उपयोग हेतु बड़े हॉलों के रूप में अवैध रूप से निर्माण कर लिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि यह उल्लंघन संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही के बिना संभव नहीं था।
J&K स्पेशल ट्रिब्यूनल ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि उल्लंघन गंभीर और अपवादहीन हैं। इसके बाद, प्रतिवादी ने पुनः सुनवाई के लिए आवेदन दिया और ट्रिब्यूनल ने नगर निगम को फिर से आकलन करने और नए सिरे से कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति मोक्षा खजूरिया काज़मी की एकल पीठ ने कहा, “ट्रिब्यूनल की समीक्षा शक्ति सिविल कोर्ट के समान है, इसलिए उस पर भी वही विधिक सीमाएं लागू होती हैं जो सिविल कोर्ट की समीक्षा शक्तियों पर लागू होती हैं।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम की धारा 22(3)(f) के अंतर्गत ट्रिब्यूनल को समीक्षा का अधिकार है, लेकिन यह केवल तब लागू हो सकता है जब ऑर्डर 47 रूल 1 CPC में बताए गए आधारों में से कोई एक संतुष्ट हो।
याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह याचिका केवल आशंका के आधार पर दायर की गई थी, जबकि अभी तक कोई प्रतिकूल कार्रवाई शुरू नहीं की गई थी।
कोर्ट की अंतिम टिप्पणी
बेंच ने कहा, “केवल इसलिए कि ट्रिब्यूनल ने नगर निकाय को पुनर्मूल्यांकन की अनुमति दी है, याचिकाकर्ताओं को अदालत का रुख करने का कोई आधार नहीं बनता। जब तक प्रतिकूल कार्रवाई आरंभ न हो, केवल आशंका के आधार पर दायर याचिका स्वीकार्य नहीं है।”
जहां तक ट्रिब्यूनल द्वारा पूर्व आदेश की समीक्षा का प्रश्न है, कोर्ट ने माना कि यह आदेश पांचवें प्रतिवादी द्वारा नई तस्वीरें प्रस्तुत करने पर समीक्षा हेतु पारित किया गया था। इसलिए, ट्रिब्यूनल का आदेश विधिसम्मत है और उसने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर समीक्षा की है।
न्यायालय का निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया कि “नगर निकाय पुनः नियमों के अनुसार उल्लंघनों का आकलन करे और आवश्यकता पड़ने पर विधिक कार्रवाई करे, जिसमें याचिकाकर्ता (पांचवे प्रतिवादी) के निर्माण और आस-पास के निर्माण भी सम्मिलित हैं। हालांकि, किसी प्रतिकूल कार्रवाई से पूर्व संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक होगा।”
मुकदमे का शीर्षक: Ravinder Singh & Ors बनाम Om Parkash & Ors
मामला संख्या: OWP No. 522/2013