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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को स्कूल में थप्पड़ मारे गए मुस्लिम छात्र की शिक्षा का खर्च उठाने को कहा

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नई दिल्ली, 14 मई 2025 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह मुजफ्फरनगर में 2023 में हुए विवादास्पद घटनाक्रम में पीड़ित मुस्लिम छात्र की स्कूली शिक्षा का संपूर्ण खर्च वहन करे। यह मामला उस घटना से जुड़ा है जिसमें एक शिक्षक के कथित उकसावे पर सहपाठियों ने छात्र को थप्पड़ मारा था।

यह निर्देश तुषार गांधी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने दिया।

पीठ ने स्पष्ट किया कि भले ही राज्य किसी अन्य संस्था या स्कूल को यह खर्च उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है, परंतु छात्र की शिक्षा से संबंधित ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क का बोझ अंततः सरकार को ही उठाना होगा।

न्यायालय ने आदेश में कहा, “बच्चे की ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबों आदि की लागत और स्कूली शिक्षा पूरी होने तक परिवहन शुल्क का भुगतान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।”

यह याचिका महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें त्रिप्ता त्यागी नामक शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने धार्मिक टिप्पणी करते हुए मुस्लिम छात्र को पीटने के लिए अन्य छात्रों को उकसाया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे देश में रोष फैल गया था।

याचिका में छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने, धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध स्कूलों में होने वाली हिंसा पर नियंत्रण और स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।

अक्टूबर 2023 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया था कि त्रिप्ता त्यागी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। बाद में त्यागी ने अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें जमानत मिल गई।

पिछले वर्ष, सुप्रीम कोर्ट ने यह सुझाव दिया था कि राज्य सरकार छात्र की पढ़ाई के लिए किसी प्रायोजक की व्यवस्था करे। हालांकि, आज की सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने बताया कि अब तक छात्र की ट्यूशन फीस और यूनिफॉर्म का खर्च नहीं उठाया गया है।

इस पर राज्य सरकार ने जवाब दिया कि सैयद मुर्तजा मेमोरियल ट्रस्ट ने छात्र के लिए भुगतान करने की पेशकश की है। बावजूद इसके, न्यायालय ने दोहराया कि बच्चे की शिक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य की ही रहेगी।

मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है।

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