स्थान: जयपुर, राजस्थान
मामला: पिता और बेटे द्वारा प्रोफेसर माँ को मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित करवाने की साजिश
जयपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक बेटे और उसके पिता ने अपनी ही पत्नी/माँ को संपत्ति हड़पने के लिए ‘पागल’ साबित करने की साजिश रची। माँ पेशे से एक सम्मानित प्रोफेसर हैं और उनके खिलाफ कोर्ट में मानसिक रोगी होने की याचिका दायर की गई थी।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित महिला जयपुर की एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उनके पति और बेटे ने कोर्ट में दावा किया कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं और उनके निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल उठाए। मकसद था उन्हें कानूनी रूप से ‘नासमझ’ (Unsound Mind) घोषित करवाकर उनकी चल-अचल संपत्ति पर अधिकार जमाना।
लेकिन जब कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड के सामने महिला की जांच करवाई, तो डॉक्टरों ने साफ़ कर दिया कि महिला मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं और ऐसी कोई बीमारी नहीं है। इससे कोर्ट में पिता-पुत्र की मंशा उजागर हो गई।
कानूनी दृष्टिकोण से समझें – कौन-कौन सी धाराएँ लागू हो सकती हैं?
1. भारतीय दंड संहिता की धारा 120B (षड्यंत्र – Criminal Conspiracy)
यदि यह साबित हो जाए कि पिता और बेटे ने मिलकर जानबूझकर एक साजिश रची, तो यह धारा लागू हो सकती है।
2. धारा 191, 192, और 193 (झूठा सबूत देना और गवाही देना)
अगर कोर्ट में जानबूझकर झूठे दस्तावेज या बयान दिए गए हों, तो यह गंभीर अपराध है।
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धारा 191 – झूठी गवाही देना
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धारा 192 – झूठे सबूत गढ़ना
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धारा 193 – कोर्ट में झूठी गवाही देने के लिए दंड
3. धारा 499 और 500 (मानहानि – Defamation)
किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को गलत तरीके से पेश करना उसकी सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाता है। इससे महिला प्रोफेसर मानहानि का केस कर सकती हैं।
4. धारा 420 (धोखाधड़ी – Cheating)
संपत्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से धोखा देना इस धारा के अंतर्गत आता है।
5. धारा 506 (आपराधिक धमकी – Criminal Intimidation)
यदि महिला को डराने या धमकाने का प्रयास किया गया हो तो यह धारा लागू हो सकती है।
महिला के अधिकार
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मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संरक्षण
ऐसे मामलों में महिला को मानसिक उत्पीड़न से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। -
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत मामला दर्ज
इस अधिनियम के अंतर्गत मानसिक उत्पीड़न भी घरेलू हिंसा में आता है। -
संपत्ति पर पूरा अधिकार
अगर महिला ने खुद की कमाई से संपत्ति खरीदी है, तो उसका पूरा अधिकार उन्हें ही है। किसी भी झूठे आधार पर यह छीना नहीं जा सकता।
निष्कर्ष
यह मामला एक चेतावनी है कि कैसे कुछ लोग पारिवारिक रिश्तों का फायदा उठाकर संपत्ति हासिल करने की कोशिश करते हैं। सौभाग्य से, इस मामले में न्याय व्यवस्था ने सच्चाई को पहचाना और महिला के सम्मान की रक्षा की।
ऐसे समय में ज़रूरत है कि समाज जागरूक बने, और महिलाएं अपने अधिकारों को जानें और न्याय के लिए खड़ी हों।