लखनऊ की एक अदालत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उनकी ‘कठमुल्लापन’ टिप्पणी को लेकर दायर मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया है। यह टिप्पणी योगी ने फरवरी 2025 में विधान परिषद में अपने भाषण के दौरान की थी।
अतिरिक्त सिविल जज आलोक वर्मा ने कहा कि योगी का बयान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 194 के तहत संरक्षित है, जो विधानमंडल में दिए गए बयानों को कानूनी चुनौती से छूट देता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के बयानों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।
मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने दायर किया था। ठाकुर ने आरोप लगाया था कि योगी की टिप्पणी ने मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाया। शिकायत में योगी के हवाले से कहा गया था, “समाजवादियों का चरित्र दोहरा हो चुका है… उनको मौलवी बनाना चाहते हैं, ‘कठमुल्लापन’ की ओर देश को ले जाना चाहते हैं, ये नहीं चल सकता।”
अदालत ने ठाकुर की शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि केवल वही व्यक्ति मानहानि का मामला दर्ज कर सकता है, जो बयान से सीधे प्रभावित हो। चूंकि ठाकुर इस मामले में पीड़ित नहीं हैं और उन्होंने सरकारी मंजूरी के बिना शिकायत दर्ज की, इसलिए मामला कायम नहीं हो सका।
अदालत ने यह भी कहा कि उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ मानहानि की शिकायत के लिए सरकारी वकील के माध्यम से पूर्व अनुमति आवश्यक है, जिसका पालन ठाकुर ने नहीं किया।
इस फैसले के साथ ही योगी आदित्यनाथ के खिलाफ यह मानहानि मामला समाप्त हो गया।
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