लखनऊ, 14 मई 2025 — इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। यह याचिका विग्नेश शिशिर द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पहले भी इसी मुद्दे पर दो याचिकाएं दायर की थीं, जिन्हें न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है।
न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता गांधी के पास किसी अन्य देश की नागरिकता या पासपोर्ट होने का कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके।
पीठ ने कहा, “वह पासपोर्ट कहां है? हमें सिर्फ कागज़ मत दिखाईए, रिकॉर्ड में पासपोर्ट कहां है?”
न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि जब तक कोई वैध और विधिसम्मत सामग्री उसके समक्ष प्रस्तुत नहीं की जाती, वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। चूंकि याचिकाकर्ता पहले ही केंद्र सरकार को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत कर चुके हैं, इसलिए न्यायालय ने फिलहाल इसमें हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
आखिरकार, अदालत ने शिशिर को 5 मई के पूर्व आदेश की समीक्षा याचिका दाखिल करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी।
शिशिर ने तर्क दिया था कि उनके पास एक वीडियो है जिसमें राहुल गांधी को ब्रिटिश पासपोर्ट के साथ वियतनाम में प्रवेश करते हुए दिखाया गया है, और उन्होंने यह दावा भी किया कि यूके सरकार ने संबंधित पासपोर्ट भारत सरकार को भेजा है। उन्होंने कहा, “मेरे पास यह साबित करने के लिए 200 पृष्ठ हैं कि गांधी यूके के नागरिक हैं।”
हालांकि, न्यायालय इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना।